
मजबूर करे हालात क्यों
किसी को रोने के लिए
इस बारिश की एक बूँद है काफ़ी
मुझे भिगोने के लिए
बादल कभी निशाना न चूके
छोड़े न कोई कूचा गली
और चिंगारी आग पकड़ ले
ऐसी बैरी हवा चली
मिले बिजली की एक कड़कती लोरी
चैन से सोने के लिए
इस बारिश की एक बूँद है काफ़ी
मुझे भिगोने के लिए
मजबूर करे हालात क्यों
किसी को रोने के लिए
I thank and salute the artist for my visual..