Monday, June 16, 2008

अकेला हूँ मैं एक हूँ


अकेला हूँ मैं एक हूँ
मुर्दों की क़तार में
भस्म फूलों के बहार में

अकेला हूँ मैं एक हूँ
इस अँधेरी सुबह में
घुटन भरी हवा में

अकेला हूँ मैं एक हूँ
इस अधूरी कहानी में
जलते हुए पानी में
झुर्रियों में सिमटी जवानी में

अकेला हूँ मैं एक हूँ
उजड़ी हुई एक बस्ती में
खोयी हुई एक हस्ती में
बिन माझी के कश्ती में
जिंदा शरीरों की अस्थि में

अकेला हूँ मैं एक हूँ
बुझे हुए अंगारों में
लुटे हुए बाजारों में
एक रेत से लिपटे खेत में
श्याम में डूबे श्वेत में

अकेला हूँ मैं एक हूँ
बेरोशन आँखों में
बिन पेड़ों की शाखों में
सूखे हुए तालाब में
उठे हुए सैलाब में

अकेला हूँ मैं एक हूँ ...

3 comments:

meraj said...

'shyaam mein doobe shwet mein'...waaah!

Unknown said...

akele hain aur sirf ek hain

Follies n foibles said...

:) Bahut badiya.. sad and moody!