
अकेला हूँ मैं एक हूँ
मुर्दों की क़तार में
भस्म फूलों के बहार में
अकेला हूँ मैं एक हूँ
इस अँधेरी सुबह में
घुटन भरी हवा में
अकेला हूँ मैं एक हूँ
इस अधूरी कहानी में
जलते हुए पानी में
झुर्रियों में सिमटी जवानी में
अकेला हूँ मैं एक हूँ
उजड़ी हुई एक बस्ती में
खोयी हुई एक हस्ती में
बिन माझी के कश्ती में
जिंदा शरीरों की अस्थि में
अकेला हूँ मैं एक हूँ
बुझे हुए अंगारों में
लुटे हुए बाजारों में
एक रेत से लिपटे खेत में
श्याम में डूबे श्वेत में
अकेला हूँ मैं एक हूँ
बेरोशन आँखों में
बिन पेड़ों की शाखों में
सूखे हुए तालाब में
उठे हुए सैलाब में
अकेला हूँ मैं एक हूँ ...
3 comments:
'shyaam mein doobe shwet mein'...waaah!
akele hain aur sirf ek hain
:) Bahut badiya.. sad and moody!
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