
चाँद अब भी लाल है
एक कश तू और लगा..
कितना लंबा साल है
एक कश तू और लगा..
एक कश इस बात पे
तारे सोते हैं फुटपाथ पे
एक कश इस बात पे
रोते नहीं हालात पे
ये किसी की चाल है
एक कश तू और लगा..
कितना लंबा साल है
एक कश तू और लगा..
कश पे कश होंगे जमा
खुशनुमा होगा समा
शिक्वे भी होंगे जमा
छोड़ दे फिर ये जहाँ
सिर्फ़ मायाजाल है
एक कश तू और लगा..
कितना लंबा साल है
एक कश तू और लगा..
तेरा क्या ख़्याल है ?
एक कश तू और लगा..
कितना लंबा साल है
एक कश तू और लगा..
4 comments:
Har kash mein nasha bemisaal hai..ek kash tu aur laga..bada lamba saal hai..
kis kashmakas main hai tu
soch mat bas kash laga
bas zindagi ka zaika reh jaye zabaan pe
chal is baat pe kash laga
Loved it ... the repetitions were very effective ... like reopening wounds again and again ...
दम भरा कश ख्याल है
कस के तू कश लगा!!!
Post a Comment