
सखी रे, हो री सखी
तू जैय्यो न घर रात
जाड़े की बैय्याँ थामेगी तुझको
तू सुनके जैय्यो सारी बात..
तू जैय्यो न घर रात..
आंखन में मोरे अब्र जले हैं
आँसू न जाने काहे रूठन चले हैं
जतन करूँ मैं पगली चुप शरमाऊँ
पिया बिरहन की बातें किस को बताऊँ
उस पर हुई बरसात..
तू सुनके जैय्यो सारी बात
सखी रे
तू जैय्यो न घर रात..
आस पड़ोस वाले मारे हैं ताने
सखियन तू चाहे माने न माने
सर पे चंचल जोबन का इल्जाम
पूछे हैं मैय्या मोरी पी का नाम
बहते पसीजे जज़्बात..
तू सुनके जैय्यो सारी बात
सखी रे, हो री सखी
तू जैय्यो न घर रात..
1 comment:
kaise jaaoon ghar?
ho rahi hai barsaat....
upaar se hai tera ye saath
ek ek jaam ho jaaye,
toh kat jaaye ye bairee raat.
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