Monday, April 20, 2009

करकश


चाँद अब भी लाल है
एक कश तू और लगा..
कितना लंबा साल है
एक कश तू और लगा..

एक कश इस बात पे
तारे सोते हैं फुटपाथ पे
एक कश इस बात पे
रोते नहीं हालात पे

ये किसी की चाल है
एक कश तू और लगा..
कितना लंबा साल है
एक कश तू और लगा..

कश पे कश होंगे जमा
खुशनुमा होगा समा
शिक्वे भी होंगे जमा
छोड़ दे फिर ये जहाँ

सिर्फ़ मायाजाल है
एक कश तू और लगा..
कितना लंबा साल है
एक कश तू और लगा..

तेरा क्या ख़्याल है ?
एक कश तू और लगा..
कितना लंबा साल है
एक कश तू और लगा..