Wednesday, March 18, 2009

वो दरिया है



This time I didn't have to search google for my image.

उसे मालूम कहाँ वो एक दरिया है
वो दरिया,
जिसे एक नापाक़ समन्दर
जाने कितनी सदियों से तलाशता आ रहा है..

अपनी प्यास पूजता,
मौज - मौज कहकर
अपनी चोट पर हँसता रहता..
फिर भी जी न भरा
तो थोड़ा नमक लगा लिया..

उसे विश्वास नहीं
वो एक दरिया है
उसे तो ख़बर भी नहीं
कि मंजिल उसकी
तरंगों पर संतूर बजा रही है..
कानों पर सुरीली आहट
तो कभी सुरों की फ़ुहार
और एक बाली का गीलापन..

उस पर अपनी हँसी का सुरूर है,
अपनी ज़िन्दा मदहोशी पर उसे कितना गु़रूर है..

बहती, बेतहा बहती
न जाने कितना कुछ कह दिया..

उसे यक़ीन ही नहीं
उसका हर क़तरा दरिया सा निर्मल है
अब मुझे भी कहाँ ख़ुद पर
यक़ीन हुआ कभी
कहीं अगर मुलाक़ात हो
तो नाम से ज़रूर पुकारना..

4 comments:

Unknown said...

love it!!

Unknown said...

Ab mujhe bhi kahaan khud par yakeen hua kabhi... Kahin agar mulakaat ho to naam se zaroor pukaarna... Takes the cake dude. Bahut mazaa aaya padh ke.

Snela said...

उस पर अपनी हँसी का सुरूर है....mein kya baat hai....bheeshon bhalo!

Reetesh Khare said...

अपने अपने हुनर का पानी है जो बहेगा
कोई हैं अफसरान तो सब शायर तो नहीं हैं...